आर्यैः

पिछले पोस्ट में इस शब्द का उल्लेख छूट गया था। 

संस्कृत धातु 'ऋ' का प्रयोग गति और प्राप्ति के अर्थ में होता है। पर्याय से इसका अर्थ उन्नति, श्रेष्ठता आदि के लिए किया जाता है। ऋक्, ऋच्, और अर्क, अर्च्, अर्प, आदि इसी से व्युत्पन्न हो सकते हैं। इसी प्रकार आर्य भी ऐसा ही शब्द है। 

इसका एक अर्थ चरित्रवान् और उदार भी होता है। 

"आर्यैः" इसी पद का तृतीया बहुवचन रूप है। 

--

Comments

Popular posts from this blog

मोक्षस्य कांक्षा

531, अयमात्मा नित्यसिद्धः

13, अर्थस्य निश्चयो