432, अतीताननुसन्धानं
अतीताननुसन्धानं भविष्यदविचारणम्।
औदासीन्यमपि प्राप्तं जीवनमुक्तस्य लक्षणं।। ४३२
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अतीत-अननुसन्धानं भविष्यत् अविचारणम्।
औदासीन्यं अपि प्राप्तं जीवनमुक्तस्य लक्षणम् ।।
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(बीते हुए) अतीत (स्मृति) के विषय में चिन्तन न करना, और (अनागत) भविष्य के बारे में कल्पनाएँ न करना, तथा दोनों से उदासीन हो जाना जीवन्मुक्त का लक्षण है।
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Thinking not about what happened in the past, nor anticipating about what may happen in the future, are the characteristics of a realized one.
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