389, अन्तः स्वयं चापि

अन्तः स्वयं चापि बहिः स्वयं च 

स्वयं पुरस्तात् स्वयमेव पश्चात्। 

स्वयं ह्यवीच्यां स्वयमप्युदीच्यां 

तथोपरिष्टात्स्वयमप्यधस्तात् ।। ३८९

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अन्तः स्वयं च अपि बहिः स्वयं च

स्वयं पुरस्तात् स्वयं एव पश्चात्। 

स्वयं ही अवीच्यां स्वयं अपि उदीच्यां

तथा-उपरिष्टात् स्वयं अपि अधस्तात्।। 

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आत्मा अपने ही अन्तर में है, और आत्मा ही बाहर भी है, आत्मा अपने समक्ष है, और आत्मा अपने पृष्ठ की ओर है, आत्मा दक्षिण की दिशा में और आत्मा उत्तर की दिशा में है। आत्मा ऊपर की दिशा में तथा आत्मा नीचे की दिशा में है। 

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The Atman ( Self) is there within our heart, 

He is alone without as well,

He is before (manifest) us. 

He is behind us as well.

He is in the south.

He is as well in the north.

He is there above, and 

He is as well there, beneath.

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