15, अतो विचारः कर्तव्यो
अतो विचारो कर्तव्यो जिज्ञासोरात्मवस्तुनः।
समासाद्य दयासिन्धुं गुरुं ब्रह्मविदुत्तमम्।। १५
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अतः विचारः कर्तव्यः जिज्ञासोः आत्मवस्तुनः।
समासाद्य दयासिन्धुं गुरुं ब्रह्मविद् उत्तमम्।।
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अतः आत्मा के तत्व के जिज्ञासु का यह कर्तव्य है कि विचार अर्थात् आत्मविचार कैसे किया जाता है, इसे जानने हेतु उत्तम ब्रह्मविद् दयासिन्धु गुरु के समीप यथाविधि जाकर इस बारे में उनसे जिज्ञासा करे ।
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So, the aspirant, eager and keen to know the Reality should approach the Teacher, who is verily the ocean of mercy, the one who abides ever in Brahman and pray him and follow his instructions with proper reasoning.
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